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डॉक्टर रामनारायण शुक्ल जी के द्वारा किया गया नाट्य मंचन आयोजन एवं अभिनय -
- पश्चिमी जगत् के आधुनिक शेक्सपियर वार्टोल्ड ब्रेश्ट का "लाइफ ऑफ गेलीलियों" का दक्षिणी छात्र निकाय के सहयोग से 10-11 जून, 1982 को मालवीय भवन में प्रो0 इकबाल नारायण, कुलपति, काशी हिन्दी विश्वविद्यालय के आतिथ्य में मंचन।
- डॉ० शंकर शेष के "एक और द्रोणाचार्य" का कला संकाय प्रेक्षागृह में कुलपति प्रो० इकबाल नारायण के आतिथ्य में 22-23 दिसम्बर, 1981 में प्रस्तुति की गयी।
- "एक और द्रोणाचार्य" की दूसरी प्रस्तुति महिला महाविद्यालय में हीरक जयन्ती के अवसर पर नवम्बर, 1982 में माधुरी शाह, चैयर - मैन्, यू. जी. सी. के मुख्य आतिथ्य में प्रस्तुति।
- "एक और द्रोणाचार्य" की तीसरी प्रस्तुति, भौतिक विभाग के अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस में फरवरी, 1983 में कला संकाय प्रेक्षागृह में मंचन।
- "एक और द्रोणाचार्य" की चौथी प्रस्तुति, रामचन्द्र शुक्ल शताब्दी समारोह के अवसर पर मार्च, 1983 में स्वतंत्र भवन में हुई ।
- "एक और द्रोणाचार्य" की पंचम प्रस्तुति, प्रो० रस्तोगी, कुलपति का० हि०वि०वि० के विशेष चाहत पर मार्च 1988 में हुई।
- "भारतेंदु चंद्रावली" नाटक की प्रस्तुति भारतेन्द्र पुण्य तिथि समारोह के अवसर पर जनवरी 1986 में मालवीय भवन में हुई।
- उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द की अमरकृति "गोदान" का नाट्य रूपांतरण, जन्म भूमि लमही में किसान दर्शकों के बीच 1 जून, 1980 को मंचन हुआ ।
- "तीसरा हाथी" का मंचन 3 फरवरी 1984 को अध्यापक संघ द्वारा आयोजित सांस्कृतिक सप्ताह के अन्तर्गत कलासंकाय प्रेक्षागृह में आयोजन संभव हुआ ।
- मोहन राकेश की चर्चित कृति "आधे अधूरे" का मंचन, उक्त सांस्कृतिक सप्ताह के अन्तर्गत 4 परवरी, 1984 को प्रो० इकबाल नारायण की अध्यक्षता में कला संकाय प्रेक्षागृह में आयोजीत किया गया ।
- "आधे-अधूरे" की द्वितीय प्रस्तुति फरवरी 1989 में स्वतंत्रता भवन में हिन्दी विद्वान दर्शकों के बीच प्रसाद संगोष्ठी के अवसर पर सम्पन्न हुई।
- "तबला बाजे धीन-धीन" डॉ लाल बहादुर वर्मा गोरखपुर द्वारा नाट्य रूपांतरित नाटक का मंचन कला संकाय प्रेक्षागृह में 12-13 दिसम्बर 1983 को कराया गया।
- आचार्य हजारी प्रसाद दिवेदी की प्रसिद्ध कृति "वाणभट्ट की आत्मकथा" की नाट्य प्रस्तुति महिला महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में अप्रैल 1986 में आयोजित की गयी।
- यू.एच.सी.सी. सांस्कृतिक समिति, बी.एच यू. के चैयरमैन होने के बाद विश्व के प्रतिष्ठित नाटककार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की कृति "मैजर बारबरा" का मंचन स्वतंत्रता भवन में फरवरी 1989 में सम्पन्न हुआ ।
- डॉ शंकर शेष का "कोमल गांधार" का मंचन स्वतंत्रता भवन में फरवरी, 1989 को प्रो० रस्तोगी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
- मराठी नाटककार का सुप्रसिद्ध नाटक "सन्ध्या छाया" का मंचन कुलपतियों के सम्मेलन 1988-89 में स्वतंत्रता भवन में सम्पन्न हुआ।